तुम जाजो व्हां तक पांव पांव
बाबू साहब दूर दूर तक फैल्या छोटा मोटा गांव
जाणु होय देखण खs तो तुम जाजो व्हां तक पांव पांव
तुम देखोगा वहां भोर मs हंसती जूही चमेली खs
गाल नs पs संझा का लाल लाल सेमल़ का फूल खिलs
सरसो सेवंती, सूरज की अगुवाणी मs सदा सजग
चंदा की चांदणी वहां एक एक मनुस सी गल़s मिलs
पंछी नs को कलरव कोयल़ की कूक
हड़्या नs की कांव कांव...जाणु होय देखण.......
तुम देखोगा वहां आज बी भुनसारs प्रभात फेरी
कहीं कहीं घट्टी की घरघर, संग गीत नकी सुर लहरी
बड़ा बुड़ा नs की राम राम पर धरजो मन सी ध्यान जरा
पईलs बइल नs को चारो पाणी, फिरी चूल्हा पs चहा धरी
कड़ी मिनत को खरो पसीणु
आदमियत का निरमल़ भाव…जाणु होय देखण........
तुम देखोगा वहां प्राण किरसाण का खेत की माटी मs
फसल जवंs गदराय खुसी का उठs समुंदर छाती मs
इनको तप अनवरत चलs होय सुबह सांझ या दोपहरी
ज्ञान ध्यान सुख दुख मs जाय, चौपाल मs या पंचाती मs
संगम वड़ पीपल नs नीम को
आम नs की समता की छांव....जाणु होय देखण........
तुम देखोगा वहां हरी धरती मs सहज सुबास छे
हवा वहां की महकs, चहकs मन हसतो ई अकास छे
नवी नवोड़ी गोरी छोरी रय संयम की सीमा मs
नाचs गावs धूम मचावs पण मन मs विस्वास छे
टेढ़ी मेढ़ी प्रीत डगर मs
इनका पड़s पवित्तर पांव....जाणु होय देखण.........
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