Wednesday, 22 September 2010

पावणा जी को ठाट

पावणा जी को ठाट
पावणा जी को बड़ो निराल़ो ठाट छे
घर मs उनका सवणss
टूटली दोरी की खाट छे

पंचाती नss उठs बठs
करs लोग नs को न्याय
घर मs उनकी कोई नी सुणs
वूं सबई नs सी कंदराय
धणी-लुगई मs कदी बणs नी
ढीली उनकी गांठ थे...पावणा जी.......

मूंछ नs बड़ी बड़ी छे
पेरs एक टांग की धोती
वात विचार मs सदा अगेड़ी
अक्कल उनकी बोठी
हर हफ्ता मs भोत जरूरी
उनकs जाणु हाट छे...पावणा जी.......

काम करs नी ठांय
खेत मs साल भरी नी झांकs
घर मs दुवई टेम बाल़क
सुकी गुड़ पापड़ी फांकs
तीज तीवार बी इनका घर मs
बणज दाल़ नs भात छे...पावणा जी......

ससरवाड़ कदी जाय करs वूं
खोब घणां वहां नखरा
अमीन साब सरी सब नs सी बोलs
बोल बड़ा वूं अकरा
खाणुं पेणुं खोब झड़s
चुरमू बाटी नs बाट छे
पावणा जी को बड़ो निरालो ठाठ छे......
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