Wednesday, 22 September 2010

झूठी कहानियां

पास में ही गांव है, जाकर तो देखिये
कितना वहां तनाव है, जाकर तो देखिये

कहते रहे हो आजतक झूठी कहानियां
सूने वधु के पांव है, जाकर तो देखिये

जंगल की गोद में बसा, ईंधन की समस्या
फिर भी कई अलाव हैं, जाकर तो देखिये

गेंदा गुलाब मोगरा सरसों की सिहरनें
भूखों के हाव भाव है, जाकर तो देखिये

जिसके सहारे गूंजते थे, माझियों के स्वर
वह टूट गई नाव है, जाकर तो देखिये

कोरट में केस चल रहे, चौपाल बंद है
कितना वहां लगाव है, जाकर तो देखिये

गिरवी रखी ज़मीनें, शहरी खरीददार
कैसा लगा ये दांव है, जाकर तो देखिये

पगडंडियां सहमी हुई, अपने में खो गई
पहुंचे शहर के पांव हैं, जाकर तो देखिये
---------------------

No comments:

Post a Comment