चलो चलां खेत मs
वादल़ा घिरी घिरी आया, प्रेम संदेसो ई लाया
साजन चलो रे चलां अपण खेत मs
मंगल गीत सुणाया, बरखा राणी नs गाया
सजनी चलो री चलां अपण खेत मs
वात पता की छे लाख टका की
बिन बरसात, निरजीव थी ई माटी
खेल फूल्या नी समाया, देखो कसा सरसाया
सजनी चलो रे.......
राजा इन्दर नs खोली दिया ताला
कलकल करणs लग्या नद्दी नाल़ा
सबका मन अंकुराया, प्रेमी मन भरमाया
साजन चलों रे.........
ज्वार उड़द मूंग, मक्का की वावणी
मन मs उमंग लई नs आई हवा पावणी
मिटी गई काल की छाया, दिन खुसी नs कs आया
सजनी चलो रे.........
पीहू पीहू बोलs पपीहरो सुहावणु
अगन लगs मन मs चलs ताणु बाणु
देखी फसल मन बौराया, स्वामी हिरदा लगाया
साजन चलो रे चला अपण खेत मs.......
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