आरती - दारू की
जय दारू राणी, दारी जय दारू राणी
तुखs पीssन सब खुसी का मारे
फिर s घाणी माणी....दारी जय दारू राणी
करजो लई नs दारी का महल मs जी कोई नित जावे
भगती भाव सी भेंट चढ़ई नs, चरणामृत पावे....दारी जय दारू राणी
घर का बासण जेवर दारी, थारा कारण मोड़s
प्रेम मs पागल अपणा हाथ सी, माथो वू फोड़s....दारी जय दारू राणी
नस नस मs देवी थारो वास छे, खून को नांव नी हंई
घाम मs उबs तो देव नs सरीखी पड़ती नी अवं छावल़ई....दारी जय दारू राणी
डुटी चगी गई तुखs पेणs सी, खाट प सी उठतो नी हई
बयरो खबर अवं लिती ठांय नी, पीहर न्हाटी गई.....दारी जय दारू राणी
थारा नस्या मs दारी लोग नs न काई काई काम नी करया
आखरी टेम मs एकला रई गयां, सड़तs सड़तs मरया.....दारी जय दारू राणी
रासि दुबारा विह्स्की रम, असा नांव थारा नौ सौ
गली गटर मs भक्त पड़्या, न कुतरा करs भौं भौं.....दारी जय दारू राणी
चलतs चलतs हिटी पड़s, फिरी उठतs नी ठांय बणs
मदद करणs वाल़ा का उप्पर, थारा डोल़ा तणs.....दारी जय दारू राणी
दारूजी की भगती तन मन धन सी, जी कोई नर ध्यावs
कुतरा मुतss मुंडा मs, वखs आनंद आव......दारी जय दारू राणी
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