Wednesday 22 September 2010

तुम जाजो व्हां तक पांव पांव

तुम जाजो व्हां तक पांव पांव
बाबू साहब दूर दूर तक फैल्या छोटा मोटा गांव
जाणु होय देखण खs तो तुम जाजो व्हां तक पांव पांव

तुम देखोगा वहां भोर मs हंसती जूही चमेली खs
गाल नss संझा का लाल लाल सेमल़ का फूल खिलs
सरसो सेवंती, सूरज की अगुवाणी मs सदा सजग
चंदा की चांदणी वहां एक एक मनुस सी गल़s मिलs
पंछी नs को कलरव कोयल़ की कूक
हड़्या नs की कांव कांव...जाणु होय देखण.......

तुम देखोगा वहां आज बी भुनसारs प्रभात फेरी
कहीं कहीं घट्टी की घरघर, संग गीत नकी सुर लहरी
बड़ा बुड़ा नs की राम राम पर धरजो मन सी ध्यान जरा
पईलs बइल नs को चारो पाणी, फिरी चूल्हा पs चहा धरी
कड़ी मिनत को खरो पसीणु
आदमियत का निरमल़ भावजाणु होय देखण........

तुम देखोगा वहां प्राण किरसाण का खेत की माटी मs
फसल जवंs गदराय खुसी का उठs समुंदर छाती मs
इनको तप अनवरत चलs होय सुबह सांझ या दोपहरी
ज्ञान ध्यान सुख दुख मs जाय, चौपाल मs या पंचाती मs
संगम वड़ पीपल नs नीम को
आम नs की समता की छांव....जाणु होय देखण........

तुम देखोगा वहां हरी धरती मs सहज सुबास छे
हवा वहां की महकs, चहकs मन हसतो ई अकास छे
नवी नवोड़ी गोरी छोरी रय संयम की सीमा मs
नाचs गावs धूम मचावs पण मन मs विस्वास छे
टेढ़ी मेढ़ी प्रीत डगर मs
इनका पड़s पवित्तर पांव....जाणु होय देखण.........
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सुंदर सुंदर सांवल़ो सलोणु म्हारो देस

सुंदर सुंदर सांवल़ो सलोणु म्हारो देस
सुंदर सुंदर सांवल़ो सलोणु म्हारो देस
                                    म्हारो देस छे
रंग रंगीली धरती रंग रंगीलो सगल़ो देस
                  म्हारो देस छे

कलकल करती नदियां गीत सुणावs रे
चलता रहो पथिक ई वात बतावs रे
विंद्याचल सतपुड़ो पहाड़ अरावल़ी
रहो अटल सिद्धांत न s समझाव रे
सत्य अहिंसा जीव प्रेम को भारत को संदेस
ई संदेस छे......सुंदर सुंदर........

इना देस को छे इतिहार सुनेहरो रे
देस प्रेम को मन मs धरम छे गहेरो रे
भामासाही त्याग राम की धरती पर
धवल़ई हिमगिरी नs को यहा छे पहरो रे
भांति भांति का धरम फिरी बी छे सब का सब एक
ई सब एक छे....सुंदर सुंदर........

गुढ़ मरम की वात यहां पईचाणी रे
सस्त्र हाथ मs कदी सास्त्र गुरूवाणी रे
गांधी नेहरू नरम भगत आजाद गरम
सबको मन निरमल गंगा को पाणी रे
मनुज धरम छे करम कृष्ण की गीता को उपदेस
ई उपदेस छे....सुंदर सुंदर.............
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चलो चलां काम करां रे

चलो चलां काम करां रे
चलो चलां काम करां रे
मेहनत को मान करां रे
अमुवा का बोर नs की पीढ़ी मs
हम नवी मिठास भरां रे
देस को कई नाम करां रे....चलो चलां.......

सरसो सेवंती मुरझावणs नी पावs
माटी मs खेत की दरार नs नी आवs
नेती का पाल़ा बांधां चारई कोना तो
प्रीत की फुहार गीत प्रेम का सुणावs
अलसी की अलसाई आंख नs मण
हम ज्योति दीप धरां रे....चलो चलां........

डुबां नी हम महुवा की मादक गंध मs
फागुणी पलास सा चमकां अपणा रंग मs
हरा हरा धणा न सई महकावां हम सदा
अलग अलग रस्ता पण चलां एक ढंग मs
रस कयेंक फूल नs को एक करां
हर मन मs सहद भरां रे....चलो चलां.....

ममता की नहर नss हम अरू बढ़ावां
हरियाल़ा छावल़ा का झाड़ हम लगावां
भेदभाव की हम काटां खरपतवार कs
मेहनत सी देस कs खुसहाल़ हम बणावां
भुक्या तिस्या लोग नs सी गल़s मिल़ा
उनको हम दुक्ख हरां रे....चलो चला काम करां रे........

रड़S रड़S रे सजण

       रड़S रड़S रे सजण
रड़S रड़S रे सजन थारी याद मS नयन रड़S रड़S रे

लिमड़ा पS काल़ो कागो कांव कांव गग्गाए
मन को मीत छे दूर नS कोयल असी कसी कुक्काय
बड़Sबड़S रे........रड़S रड़S रे सजन......

सरदी की कड़कड़ती ठंडी हवा कलेजो खाय
मन की कुढ़ण मुंडा तक आवो जीभ मगर सरमाय
नढ़S नढ़S रे......रड़S रड़S रे सजन......

ठंडो लगS घाम सूरज को चांद खोब गरमाय
मन अकास मS तारा कदी बल़SS कदी उल्हाय
पड़S पड़S रे....रड़S रड़S रे सजन

करणS लग्यो चूल्हो चुगली नS बोल मारS अलमारी
मंगरा का कवलू गाल़ा दे ढेल़ की चौकीदारी
गड़S गड़S रे....रड़S रड़S रे सजन......

खाली पन्ना ई किताब का मन की कथा सुणावS
प्रेम शब्द का ढाई आखर प्रिय आई नS कवS बढ़ावS
बढ़S बढ़S रे.....रड़S रड़S रे सजन...........
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ई कुण आय (किरसाण)

ई कुण आय (किरसाण)
कड़कड़ाता घाम मs जुटेल छे ई काम मs
धरती की परत न खs हाल सी उघाड़तो
            ई कुण आय
           ई किरसाण आय
कुर्ता नs धोती पs सादी दाल रोटी पs
चेहरा पर आसा की जोत जगमगाड़तs
                     ई कुण आय
                     ई किरसाण आय
जीवन सगलो यको छे कयड़ी तपस्या
मिनत सी भगाड़s ई हर एक समस्या
साधना ई साधक की अक्षय सुहागेण छे
फसल़ नमs मेहनत का मंत्र छे रच्या बस्या
याणी सी सांझ तक, खेत सी खलिहान तक
जीवन का गीत भर उमंग सी सुणावतो
                     ई कुण आय
                     ई किरसाण आय
आसा बिस्वास रुपी बइल यका प्यारा छे
हाल़ वक्खर कोल़पा सब साथी ई न्यारा छे
घरवाल़ई प्रेरणा धरती माता इष्ट छे
राह बतावण कs लेण सूरज चांद तारा छे
मेहनत इकलोती सी ममता का मोती
धरती का गरभ सी खुसी खुसी निकालतो
                     ई कुण आय
                     ई किरसाण आय
सीना पs झेलs सब मोसम का वार यो
सरदी की ठिठुरन सी मानs नी हार यो
देस की तरक्की मs छे पत्थर नींव को
पेट भरs सबको असो पालणहार यो
छे महान ई किसान यका सी हिन्दोस्तान
सान कs अरू अधिक संवारतs
                     ई कुण आय
                     ई किरसाण आय
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कड़कड़ातो आयो उन्धाल़ो

कड़कड़ातो आयो उन्धाल़ो
कड़कड़ातो आयो उन्धाल़ो
किरसाण भाई खेत नखs हाल़ो
सौन्दारs उठो काम लगो तुम सकाल़ु
तीस का मारे नी सुकगs तुमरो तालु
घाम दुफारी को तुम टालो...किरसाण भाई.....

खेत को कुड़ो करकट येचो धस्या काड़ी
बल़तण का काम मs आवसे ई अगाड़ी
जापता सी इनखs सम्हालो...किरसाण भाई.....

उन्डी करो हल़णी उलट पलट करो माटी
बक्खर जोतो नs फिरी फेरी देवो पाटी
चहुं तरफा बांधी दयो पाल़ो...किरसाण भाई....

एक वारि बीज अरू सफा करी नाखो
घाम बतई नs उनखs जापता सी ढाको
नमी हवा को नी रैय गाल़ो...किरसाण दाजी....

बारीस का पयलs निपटाओ सब कामकाज
नेती नs मिनत जहां बरकत व्हां करs राज
अंधियारो मिटs होय उजाल़ो...किरसाण दाजी.........
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पावणा जी को ठाट

पावणा जी को ठाट
पावणा जी को बड़ो निराल़ो ठाट छे
घर मs उनका सवणss
टूटली दोरी की खाट छे

पंचाती नss उठs बठs
करs लोग नs को न्याय
घर मs उनकी कोई नी सुणs
वूं सबई नs सी कंदराय
धणी-लुगई मs कदी बणs नी
ढीली उनकी गांठ थे...पावणा जी.......

मूंछ नs बड़ी बड़ी छे
पेरs एक टांग की धोती
वात विचार मs सदा अगेड़ी
अक्कल उनकी बोठी
हर हफ्ता मs भोत जरूरी
उनकs जाणु हाट छे...पावणा जी.......

काम करs नी ठांय
खेत मs साल भरी नी झांकs
घर मs दुवई टेम बाल़क
सुकी गुड़ पापड़ी फांकs
तीज तीवार बी इनका घर मs
बणज दाल़ नs भात छे...पावणा जी......

ससरवाड़ कदी जाय करs वूं
खोब घणां वहां नखरा
अमीन साब सरी सब नs सी बोलs
बोल बड़ा वूं अकरा
खाणुं पेणुं खोब झड़s
चुरमू बाटी नs बाट छे
पावणा जी को बड़ो निरालो ठाठ छे......
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चलो चलां खेत मs

चलो चलां खेत मs

वादल़ा घिरी घिरी आया, प्रेम संदेसो ई लाया
साजन चलो रे चलां अपण खेत मs
मंगल गीत सुणाया, बरखा राणी नs गाया
सजनी चलो री चलां अपण खेत मs

वात पता की छे लाख टका की
बिन बरसात, निरजीव थी ई माटी
खेल फूल्या नी समाया, देखो कसा सरसाया
सजनी चलो रे.......

राजा इन्दर नs खोली दिया ताला
कलकल करणs लग्या नद्दी नाल़ा
सबका मन अंकुराया, प्रेमी मन भरमाया
साजन चलों रे.........

ज्वार उड़द मूंग, मक्का की वावणी
मन मs उमंग लई नs आई हवा पावणी
मिटी गई काल की छाया, दिन खुसी नss आया
सजनी चलो रे.........

पीहू पीहू बोलs पपीहरो सुहावणु
अगन लगs मन मs चलs ताणु बाणु
देखी फसल मन बौराया, स्वामी हिरदा लगाया
साजन चलो रे चला अपण खेत मs.......
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केसरियो रंग

केसरियो रंग
भारत की लाड़ भरी धरती मs
प्रेम का पलास हम लगावां रे
फागुण की प्रीत भरी मस्ती मs
केसरिया खुद हम ह्वुई जावां रे

पयलो रंग केसरियो गांव नss नाखां
झोपड़ी नमण जाई नs, भीत्तर हम झाकां
बोला दुई बोल मीठा, दाजी नs माय सी तो
आसीस उनका खोल़ा भर सवाद चाखां
झोल़ई का बाल़क कs पुचकारां
दुध की कटोरी भरी आवां रे...केसरिया..........

दुजो रंग सबई धरम नss हम मिलावां
सेवा नs प्यार सी हम एकता बढ़ावां
निर्धन धनवान या की अनपढ़ विद्वान होय
मानव को धरम एक, वात ई बतावां
बाह्यर भीत्तर सी हम एक बणां
खुसी नs का फूल सब खिलावां रे...केसरिया........

तीजो रंग केसरियो सीमा पर चमकs
सैनिक का सीना मs देस प्रेम हुमकs
जहरीला सांप नss मुंडा वूं मरोड़s तो
जीत की हंसी उनकी बिजुरी सी चमकs
देस की रखवाल़ई मs छे लगेल
इनकs नी हम कदी भुलावां रे
केसरिया खुद हम ह्वुई जावं रे......
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