किरसाण
हरी भरी धरती को हिंदुस्तान छे
प्राण देस का म्हारा ई किरसाण छे
बड़ा बड़ा मनसूबा मन मs
नवा नवा छे ख्याल
अपणी तंग गृहस्थी को नी
इनकs कोई मलाल
कयड़ी मिनत नs नेकी यकी पईचाण छे...प्राण......
बारिस मs भिंजाय
गरमी मs तपs तेज हुई जाय
ठंडी को तीखोपण
सीनो मौसम सी टकराय
बूंद पसीना की गंगाजल का समान छे...प्राण.......
फागुण मs रसिया होरी
नवदुर्गा गरबी ख्याल
बारिस मs मिरदिंग फड़कs
निरगुणी भजन सब साल
कबीरा की मस्ती सिंगाजी की तान छे...प्राण.......
कयड़ी मिनत साधना इनकी
माटी को आधार
धरती माता सी इनकs छे
जान सी ज्यादा प्यार
करम योग जप तप को, बड़ो मचाण छे...प्राण........
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