मास्टरजी को पोरयो
मास्टरजी को पोरयो, बड़ो आट्यो काट्यो
निकल्यो वूं राठ्यो को राठ्यो
स्कूल मs गांव की हम, भणनs कs जाता था
मास्टरजी रोज दुफार दिन कs आवता था
आई न मकs कयता था घर चली जाजे
कड़ी पs बठाड़ी नs छोरा कs खेलावजे
भोत झाल उठती थी पण कईं कही नी सकतो थो
मन मs का मन मs गाल़ा नs बकतो थो
हऊं म्हारा बचपण मs बड़ो सीधो सादो थो
सबई न मs देखs तो हऊं सरी म आदो थो
मास्टर की अक्कल कs अवं दाद देऊंज
कि पूरी कक्षा मs सी वो नs मखज क्यो छाट्यो
निक्लयो वूं......
मास्टरजी को छोरो थो माथा को बोरो थो
देखणs मs स्याणु पण सुभाव मs तोरो थो
बड़ो हुई नs वूं बी स्कूल मs आवणा लग्यो
दूसरा नs की कापी किताब नs फाड़नs लग्यो
कोई की दवात दपड़ावs तो कोई कs चिमट्यो ले
वकां मन मs जी आवs स्कूल मs ती करी ले
बड़ो बंड थो संड मुसंड थो
अक्कल को बान्नु वको ताल़ा सी बंद थो
पूरी स्कूल मs असो देखातो थो
जसs सेर भर खारया नमण एक एकल्तो गाठ्यो
निक्ल्यो वूं......
मास्टरजी को हाथ थो आठवीं तक को साथ थो
नौवीं मs अटकी गयो यको बड़ो आघात थो
झाल़ माथs पंडीजी नs भणनु छोराड़ी दयो
खरगुण की दुकान पs काम पर लगाड़ी दयो
पान सो रूपया मईना की नौकरी वकी लगी गई
पोरयो समझ्यो कि म्हारी किस्मत जगी गई
पोरयो चल़ई मरयो, अनाप सनाम खरचो करयो
उधारी बड़ी गई तो मास्टरजी नs करजो भरयो
मास्टरजी नs खोब सहयो, पण अपनी खोट न सी
पोरयो कई को नी रहयो
मतकमऊं नs मीठो भोजन अपणा निखट्टूपण सी
लगी लगई नौकरी कs छोड़ी नs न्हाट्यो
निकल्यो वूं राठ्यो को राठ्यो......
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